Monday 29 August 2011

"दर्द"



कहने को तो दुनिया कहती है मुस्कुरा
पर कोई वजह तो हो मुस्कुराने के लिए ,

आंसुओं से भीगी एक तस्वीर है
बाकी कुछ न रहा दिखाने के लिए ,

वीरान झोपड़ी, अधखुला दरवाज़ा
खुद समझ लेना
वहां कोई नहीं होगा तुम्हे बताने के लिए,

सिसकियों  का शोर है शामो -शहर
बस यही एक नगमा है गाने लिए ,

हर " दर्द " अपना कागजों पर लिखे जा रही हूँ ..
शायद  उस  वक़्त मैं यहाँ  ना रहूँ तुम्हे सुनाने के लिए . 
 

My soul says                                                                                

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