कहने को तो दुनिया कहती है मुस्कुरा
पर कोई वजह तो हो मुस्कुराने के लिए ,
आंसुओं से भीगी एक तस्वीर है
बाकी कुछ न रहा दिखाने के लिए ,
वीरान झोपड़ी, अधखुला दरवाज़ा
खुद समझ लेना
वहां कोई नहीं होगा तुम्हे बताने के लिए,
सिसकियों का शोर है शामो -शहर
बस यही एक नगमा है गाने लिए ,
हर " दर्द " अपना कागजों पर लिखे जा रही हूँ ..
शायद उस वक़्त मैं यहाँ ना रहूँ तुम्हे सुनाने के लिए .
My soul says
DARD was my 2nd poem .. or you can say
ReplyDeletemy soul said it all .... :)
super lyk...........:)
ReplyDeletethanks :)
ReplyDeletetruely superb...:)
ReplyDeletethanks deepika :)
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