एक अनकहा सा ख्वाब है
जो तैर रहा है जाने कब से ,
याद नहीं उसने जन्म लिया कब से
शायद होश संभाले तब से ,
चाहती हूँ मुठी भर ज़मीन हो
हो थोड़ा आसमान जुदा सबसे ,
पराया तो बहुत कुछ हैं यहाँ
चाहती हूँ कुछ अपना रब्ब से ,
जाने मिलेगी या नहीं मंजिल
लेकिन हौंसले बुलंद हैं सबसे .
"MERA KHWAB" is the very first poem written by me when i was 15 years old ...
ReplyDeleteit was written by me on 10 march 2005 ...
Its not just a poetry its all "My soul says..." ♥
nice work...:)
ReplyDeletenice 1............
ReplyDeletethanks shefali nd harpreet :)
ReplyDeletenice composition...keep scribbling...
ReplyDeleteyeah no. of compositions are on the way :) thanks a lot :)
ReplyDeletegood one.. keep up the spirits :) !!
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