Tuesday, 24 April 2012

हर चलना, पहुंचना नही होता !



नकाब पहन कर खुशियों को हासिल करना आसान नहीं
कभी-कभी इंसानियत के रंगों में हर रंग फीका पड़ जाता है,

कब तक यूँ नज़रें समेट कर भागेगा ज़िन्दगी से
कभी-कभी राहों को तकना ज़रूरी हो जाता है,

इन सवालों की गहराई को परखना छोड़ दे
कभी-कभी सिर्फ रिश्तों का मान ज़रूरी हो जाता है,

आसान नहीं होता गुज़री राहों पर चलना
मंजिलों का मुक्कदर जो छिन जाता है,

यूँ तो सुखी नदियों में भी कभी-कभी पानी आ जाया करता है
पर समंदर में जाकर मिलना आसान नहीं होता,

तुने कदम तो रख दिए हैं ज़मीन पर
पर बढती राहों पर ये याद रखना,

"  के हर चलना, पहुँचना नहीं होता " ।





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